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नयी दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को गुजरात के टंकारा में महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर 200वें जन्मोत्सव-ज्ञान ज्योति पर्व स्मरणोत्सव समारोह में हिस्सा लिया ।राष्ट्रपति ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत भूमि महर्षि दयानंद सरस्वती जैसी अद्भुत विभूतियों के जन्म से धन्य हुई है। स्वामी जी ने समाज सुधार का बीड़ा उठाया और सत्य को सिद्ध करने के लिए ‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक अमर ग्रन्थ की रचना की। उनके आदर्शों का लोकमान्य तिलक, लाला हंसराज, स्वामी श्रद्धानंद और लाला लाजपत राय जैसी महान हस्तियों पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि स्वामी जी और उनके असाधारण अनुयायियों ने भारत के लोगों में नई चेतना और आत्मविश्वास का संचार किया।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने 19वीं सदी के भारतीय समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने समाज को आधुनिकता और सामाजिक न्याय का रास्ता दिखाया। उन्होंने बाल विवाह और बहुविवाह का कड़ा विरोध किया और विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित किया। वह नारी शिक्षा एवं नारी स्वाभिमान के प्रबल समर्थक थे। उनके द्वारा फैलाये गये प्रकाश ने रूढ़ियों और अज्ञानता के अंधकार को दूर किया। वह प्रकाश तब से हमारा मार्गदर्शन कर रहा है और भविष्य में भी करता रहेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि अगले वर्ष आर्य समाज अपनी स्थापना के 150 वर्ष पूरे करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आर्य समाज से जुड़े सभी लोग एक बेहतर विश्व बनाने के स्वामीजी के दृष्टिकोण को क्रियान्वित करने की दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे।