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नई दिल्ली: भारत में विदेशियों की ओर से किए गए अपराधों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय शिकंजा कसता दिख रहा है। अमित शाह की अगुवाई में गृह मंत्रालय ने भारत में पहली बार विदेशी नागरिकों के अपराध पर नजर बनाए रखने के लिए एक रजिस्ट्री बनाने की पहल की है। मंत्रालय की ओर से जारी किए गए डेटा के अनुसार, साल 2021 में 4,925 विदेशी अपराधों में शामिल थे देश भर में 2,585 मामले दर्ज किए गए थे। रजिस्ट्री गैरकानूनी इमिग्रेशन, वीजा धोखाधड़ी, नशीले पदार्थ, धोखाधड़ी और साइबर अपराध जैसे मामलों के समाधान में मदद करेगी।
2021 के एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में विदेशियों के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की पहल के कारण 2019 से ऐसे अपराधों के रिकॉर्ड में 70% की कमी आई है। एनसीआरबी की ‘क्राइम इन इंडिया 2021’ रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश विदेशियों (4,925 में से 3,430) को विदेशी अधिनियम 1946 और विदेशी अधिनियम 1939 के उल्लंघन के लिए गिरफ्तार किया गया था, जो मुख्य रूप से वीजा धोखाधड़ी और अवैध इमिग्रेशन से संबंधित हैं। इसके बाद नारकोटिक्स कंट्रोल एक्ट (449 विदेशी) और पासपोर्ट अधिनियम 1967 (247 विदेशी) के तहत भी उल्लंघन हुए।
एनसीआरबी के वार्षिक ‘प्रिज़न स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2020’ के अनुसार, 2020 में भारत में 4,926 विदेशी कैदी थे, जो 2019 में 5,203 और 2018 में 5,157 से अधिक थे। 2020 तक, भारतीय जेलों में विदेशी मूल के 70% कैदी मुकदमे का इंतजार कर रहे थे। 2020 के अंत में, पश्चिम बंगाल में विदेशी अपराधियों का सबसे अधिक प्रतिशत जेलों में था, जिसमें 466 मामले (40.9%) थे, उसके बाद उत्तर प्रदेश में 127 मामले (11.1%) और दिल्ली में 73 मामले (6.4%) थे।